मध्य प्रदेश से कांग्रेस के 22 बागी विधायक बेंगलुरु से लौटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें 6 मंत्री भी शामिल हैं। विधानसभा स्पीकर ने इन छह मंत्रियों का इस्तीफा तो मंजूर कर लिया है, पर 16 विधायकों से खुद ही आकर इस्तीफा सौंपने को कहा है।इन सभी विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो उसके 6 महीने के भीतर ही उनकी खाली हुई सीटों पर उपचुनाव कराने होंगे। ऐसे में कांग्रेस के ये बागी विधायक अपनी-अपनी सीटों पर भाजपा के टिकट से दोबारा प्रत्याशी बन सकते हैं। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि कांग्रेस के ये विधायक भाजपा की सदस्यता ले ही लेंगे और भाजपा सभी को टिकट दे ही देगी।
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ये 22 विधायक अपनी सीटों पर निकटतम प्रत्याशी से औसतन 15% वोटों के अंतर से जीते थे। वहीं, इन 22 में से 20 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। 22 में से 11 सीटों पर जीत और हार का अंतर 10% से भी कम था। ऐसे में भाजपा यदि कांग्रेस के बागियों को टिकट देती है तो उसके पूर्व प्रत्याशी विरोध में मैदान में उतर सकते हैं।
22 बागी 14 जिलों से जीते, इनमें से 15 सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल से हैं
कांग्रेस के 22 बागी विधायक मध्य प्रदेश के 14 जिलों से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें मुरैना से 4, ग्वालियर से 3, अशोकनगर, शिवपुरी और भिंड से 2-2 हैं। इनके अलावा दतिया, देवास, रायसेन, इंदौर, गुना, सागर, मंदसौर, अनूपपुर और धार जिले से 1-1 हैं। ये विधायक 11 लोकसभा सीट पर असर डालते हैं। इनमें से करीब 15 विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल इलाके से जीते हैं।